आदिवासी आरक्षण: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के आदिवासी विधायक, सांसद एक माह का वेतन दान करेंगे

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रायपुर। छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के आदिवासी सांसद, राज्य के विधायक और मंत्री आदिवासियों के आरक्षण से संबंधित मामले का कानूनी खर्च वहन करने में योगदान देने के लिए अपना एक महीने का वेतन दान करेंगे। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाने के राज्य सरकार के 2012 के आदेश को पिछले महीने खारिज कर दिया था और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है। न्यायालय के इस फैसले के बाद आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत रह गया। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना बंद हो गया और अब इसका खामियाजा आदिवासी युवा भुगत रहे हैं।

इस फैसले के बाद आदिवासियों की नाराजगी को देखते हुए सत्ताधारी दल कांग्रेस के आदिवासी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों तथा अन्य नेताओं ने मंगलवार को राज्य के विभिन्न आदिवासी समूहों के प्रमुखों के साथ बैठक की और न्यायालय के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई पर चर्चा की। कांग्रेस के विधायक बृहस्पति सिंह ने बताया कि बैठक में इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने तथा आदिवासियों को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए एक रणनीति तैयार की गई। सिंह ने बताया कि आदिवासी समुदाय के दो समूह पहले ही इस मामले से जुड़े हुए हैं और वह उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों को भी इस संबंध में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा गया है।

उन्होंने बताया, राज्य में कांग्रेस के आदिवासी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों ने कानूनी खर्च वहन करने में योगदान देने के लिए अपना एक महीने का वेतन दान करने का फैसला किया है। यदि किसी और चीज की आवश्यकता होगी तो हम संयुक्त रूप से व्यवस्था करेंगे। सिंह अनुसूचित जनजाति-आरक्षित रामानुजगंज सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने बताया कि बैठक में इस संबंध में सभी गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी के लिए 21 व्यक्तियों की एक कोर कमेटी का गठन किया गया, जिसमें कांग्रेस के 11 आदिवासी विधायक और आदिवासी समितियों के 10 नेता शामिल हैं। सिंह ने बताया कि इसके अलावा, छह मंत्रियों, विधायकों और सांसदों सहित 11 सदस्यों का एक अध्ययन दल बनाया गया है, जो तमिलनाडु, कर्नाटक और झारखंड जैसे उन राज्यों का दौरा करेगा जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है।

उन्होंने बताया कि एक वित्त समिति का भी गठन किया गया है जो आरक्षण की कानूनी लड़ाई में वित्तीय आवश्यकताओं का प्रबंधन करेगी। विधायक ने बताया कि राज्य सरकार का एक अलग अध्ययन दल भी उन राज्यों का दौरा करेगा जहां आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा, “हम न केवल आदिवासियों के हितों के लिए, बल्कि अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए भी लड़ेंगे। इस बीच, बैठक में मौजूद वरिष्ठ आदिवासी नेता और राज्य के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण बहाल करने की दिशा में उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है। लखमा ने कहा, मुख्यमंत्री ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने का आश्वासन दिया है। हम आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ क्वांटिफायबल डाटा आयोग (सीजीक्यूडीसी) के माध्यम से राज्य सरकार का आंकड़ा संग्रह अभियान अपने अंतिम चरण में है। इसके आंकड़े कानूनी लड़ाई में मदद करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले वर्ष राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित लोगों की गिनती के लिए सीजीक्यूडीसी के एक मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल की शुरुआत की थी।

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