छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक गांव के निवासियों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रमाणपत्र दिया गया है। बस्तर जिले के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले में अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान गुड़ियापदार गांव के ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें प्रमाण पत्र सौंपा। बघेल राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान भेंट मुलाकात के तहत बस्तर क्षेत्र के दौरे पर हैं। बस्तर जिले के कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि इसके साथ ही छत्तीसगढ़, ओडिशा के बाद राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में सामुदायिक वन अधिकारों को मान्यता देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है।
कलेक्टर ने बताया कि बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में गोंड आदिवासी समुदाय के 29 परिवारों की बस्ती गुड़ियापदर को अपने छोटे आकार और दूरदराज के क्षेत्र में होने के कारण राजस्व गांव के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। बंसल ने बताया कि जिला स्तरीय समिति ने हाल ही में गांव के सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के दावों को मंजूरी दी है। यह अधिकार वनवासियों को वन क्षेत्र की रक्षा, संरक्षण और प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाएगा।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की मान्यता न केवल वन संरक्षण को प्रोत्साहित करेगी बल्कि इससे वनवासियों का आजीविका का साधन बढ़ेगा और उन्हें खाद्य सुरक्षा भी मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिलने के बाद ग्रामीणों ने अपने परंपरागत धनुष-बाण को अपनी देवी को समर्पित कर दिया। साथ ही उन्होंने संकल्प लिया है कि वे फिर कभी शिकार नहीं करेंगे तथा जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में काम करेंगे।