जैविक खाद, मछलीपालन एवं अन्य गतिविधियों से महिलाओं को हो रही 9 लाख रुपये की आमदनी

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूती देने ग्रामीणों की जेब में पैसा पहुंचना जरूरी है और इसके लिए ग्रामीण अंचल में स्थानीय उत्पादों पर आधारित उद्योगों एवं प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना जरूरी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गौठानों में आयमूलक गतिविधियों के संचालन और ग्रामीणों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए रूरल इंण्डस्ट्रियल पार्क की स्थापना की जा रही है। गौठानों के रूरल इंण्डस्ट्रियल पार्क रोजगार मूलक गतिविधियों का केंद्र बिंदु बनते जा रहे हैं। यहां महिला समूह की महिलाएं कृषि एवं वनोपज आधारित विभिन्न प्रकार के उद्यम एवं उद्योग संचालन में जुटी है। मुर्गी पालन, डेयरी पालन, कृषि एवं उद्यानिकी फसल से वे आर्थिक सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हैं। कोंडागांव विधानसभा के राजागांव ग्राम गौठान में संचालित गतिविधियां, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा को साकार कर रही है।

राजागांव का गौठान 5 एकड़ में फैला है। इस गौठान में 12 महिला स्व सहायता समूह वर्तमान में कार्यरत है, जो भिन्न रोजगार मूलक गतिविधियों को अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त बनी है। पहले जहां वे सिर्फ घर कार्यों में उलझी रहती थी, आज आर्थिक रूप से सक्षम हैं और अपने घर की पूरी जिम्मेदारी निभार रही हैं। यह छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में गौठान बनने और गोधन न्याय योजना शुरू होने के कारण ही संभव हो सका है। महिलाएं बताती है, कि गौठान बनने के पहले तक उन्होंने कभी सोचा नहीं था, कि गांव में घर के समीप ही वह ऐसे कार्य से संबद्ध हो सकती थी, जिससे वे खुद आमदनी अर्जित कर सकती है। आज यह संभव है। उन्होंने गोबर से खाद बनाई, उससे 2 लाख से अधिक का लाभांश कमाया। सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन, डेयरी पालन से उन्होंने 7 लाख की आय हासिल की हैं। जिस आर्थिक उन्नति की उन्होंने कल्पना की थी, आज वो हकीकत बनकर उनके घर आंगन को खुशियों से भर दिया है।

मछली पालन की आधुनिक तकनीक, कम समय में ही होगा अधिक लाभ

गौठान में ही महिलाओं द्वारा बायोफ्लॉक तकनीक से मछली उत्पादन कर रही है। जिसमे रख रखाव की अधिक जरूरत नही, इस टैंक में लगे मशीन से मछली द्वारा किए गए मल से हानिकारक तत्व निकल जाते हैं और इसमें पोषक बैक्टीरिया का समावेश किया जाता है। इस प्रकार मछली का मल ही उसका पौष्टिक आहार बनता है। जिससे मछली को चारा खिलाने का खर्च भी कम हो जाता है। इस पद्धति से मछली पालन में प्रति टंकी से केवल 6 महीने में ही 5 क्विंटल मछली का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे 70 हजार की आय अनुमानित है।

एरोमेटिक कोंडानार से होगा औद्योगिक उत्पादन

गौठान से ही सटे लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में सुगंधित फसलों की खेती की जा रही है। जिसमे लेमनग्रास, वेटवियर, अल्फोंसो आम, पाल्मरोजा, नीलगिरी और बांस की खेती औद्योगिक उद्देश्य से की जा रही है। यहां प्रदेश का पहला अल्फोंसो अमरैया स्थापित की गई है, जिसमे 1000 नग अल्फोंसो आम के पेड़ का रोपण किया गया है। अल्फोंसो की माग विदेशों में भी है। प्रति पेड़ 20 नग आम के संभावित उत्पादन से, एरोमेटिक कोंडानार के प्रबंधन समिति को 10 लाख की आय प्रतिवर्ष अनुमानित है। इसके साथ ही बांस और नीलगिरी का व्यावसायिक उपयोग किया जाएगा। एरोमेटिक कोंडानार में शासन ने प्रसंस्करण इकाई स्थापित की है। जिसमे लेमनग्रास का प्रसंस्करण कर सुगंधित तेल निकाला जा रहा है। इसकी बाजार में कीमत 1500 रुपए प्रति लीटर है। लगभग 25 एकड़ भूमि, जो पहले गांव के ही 22 लोगो के द्वारा अतिक्रमित थी, उसमें 264 बांस, 560 क्लोन नीलगिरी, 25 हजार वेटीवेयर, 25 हजार पामारोजा एवं 2 लाख 34 हजार नग लेमन ग्रास का रोपण किया गया है। उत्पादन के साथ यहां प्रति वर्ष किसानों को प्रति एकड़ के पीछे 2 लाख रुपये का मुनाफा होगा। कुल 25 एकड़ जमीन से 50 लाख रुपये प्रति वर्ष प्राप्त होगी।

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