छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने 2000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाला मामले में शुक्रवार को शराब कारोबारी अनवर ढेबर और नीतेश पुरोहित को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत ने राज्य के आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी और त्रिलोक सिंह ढिल्लों उर्फ पप्पू की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत चार दिन के लिए यानी 23 मई तक बढ़ा दी है। पांडेय ने बताया कि चारों की ईडी की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद अदालत में पेश किया गया।
उन्होंने बताया कि अदालत ने ढेबर और पुरोहित को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि त्रिपाठी और ढिल्लों की ईडी हिरासत 23 मई तक बढ़ा दी गई है। ईडी ने इस मामले में सबसे पहले छह मई को रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद राजधानी रायपुर स्थित गिरिराज होटल के प्रमोटर पुरोहित और शराब कारोबारी ढिल्लों को गिरफ्तार किया गया था। त्रिपाठी को जांच एजेंसी ने 12 मई को गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी त्रिपाठी आबकारी विभाग में प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं और वे छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (जो राज्य में उपभोक्ताओं को सभी प्रकार की शराब, बीयर आदि की खुदरा बिक्री का काम करता है) के प्रबंध निदेशक भी है।
ईडी ने कहा है कि उसने आयकर विभाग की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आरोपपत्र के आधार पर धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था। ईडी ने अदालत में कहा था कि एक गिरोह द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में एक बड़ा घोटाला किया गया जिसमें राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारी, निजी व्यक्ति और राजनीति से जुड़े लोग शामिल थे। ईडी ने कहा कि इन लोगों ने 2019-22 के बीच दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया। इसने कहा था कि अनवर के साथ टुटेजा गिरोह का ‘सरगना’ था और भ्रष्टाचार के पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए भी किया गया था।
यह भी आरोप लगाया गया है कि सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से खरीदी गई प्रति पेटी शराब के आधार पर राज्य में शराब बनाने वालों से ‘रिश्वत’ ली गई थी और देशी शराब की बिक्री का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा गया। एजेंसी ने दावा किया है कि शराब बनाने वाले लोगों से ‘रिश्वत’ ली गई ताकि उन्हें ‘संघ’ बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिल सके। ईडी ने कहा, यह संघ (कार्टेल) विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के लिए शराब का आपूर्तिकर्ता था, लेकिन राज्य में विदेशी शराब की बिक्री पर भी ‘कमीशन’ लिया गया था।