केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर राज्य के लोगों को गुमराह करने और धान खरीद पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। वहीं, गोयल के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि आगामी चुनाव के मद्देनजर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। गोयल ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा है कि वित्तवर्ष 2022-2023 में चावल का अपना कोटा केंद्रीय पूल के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को जमा करने में विफल रहने के बावजूद, छत्तीसगढ़ सरकार अब वित्तवर्ष 2023-24 के लिए कोटा बढ़ाने की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि झूठ और धोखे का सहारा लेने वाली कांग्रेस सरकार राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री बघेल ने हाल ही में उन्हें एक पत्र लिखा है जिसमें 2023-24 के लिए राज्य द्वारा केंद्रीय पूल के तहत जमा चावल का कोटा 61 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 86.50 लाख मीट्रिक टन करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि 2022-23 में राज्य सरकार को योजना के तहत 61 लाख मीट्रिक टन चावल एफसीआई में जमा करना था, लेकिन उसने अब तक 53 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चावल जमा करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। उन्होंने कहा कि जब छत्तीसगढ़ सरकार पिछले वर्ष के लिए आवंटित चावल का पूरा कोटा एफसीआई के पास जमा नहीं कर पाई है तो इस वर्ष कोटा बढ़ाने के लिए कैसे कह रही है। गोयल ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले खरीफ विपणन वर्ष में राज्य में किसानों से 138 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का अनुमान लगाया था और 107 लाख मीट्रिक टन की खरीद की थी।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष अनुमान 136 लाख मीट्रिक टन है, जो पिछले साल की अनुमानित मात्रा से कम है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार खुद कहती है कि खरीद की अनुमानित मात्रा में गिरावट आई है, जबकि दूसरी ओर वह केंद्रीय पूल में राज्य के लिए चावल का कोटा बढ़ाने की मांग करती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, मुख्यमंत्री ने इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदने की सीमा 15 क्विंटल प्रति एकड़ से बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी है, लेकिन छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग की वेबसाइट पर आधिकारिक डेटा केवल 13 क्विंटल प्रति एकड़ का औसत उत्पादन दिखाता है।
उन्होंने कहा कि राज्य का चावल कोटा 86 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने की मांग गलत काम का संदेह पैदा करती है और ऐसा लगता है कि बघेल सरकार आसपास के क्षेत्रों (पड़ोसी राज्यों) से चावल का निपटान करने तथा भ्रष्टाचार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल पर धान खरीद पर झूठ बोलने और राज्य के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धान खरीद पर केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) में पहले से ही यह प्रावधान है कि राज्य चावल का अधिशेष भंडार एफसीआई को सौंप सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य से 100 लाख मीट्रिक टन चावल भी स्वीकार करने को तैयार है, लेकिन राज्य सरकार को पहले चावल का अपना लंबित कोटा एफसीआई को जमा करना चाहिए। गोयल ने बताया कि केंद्रीय खाद्य विभाग ने इस साल मई में राज्य में उचित मूल्य की दुकानों का निरीक्षण किया था और उस दौरान 65,701 लाख मीट्रिक टन चावल के स्टॉक में अनियमितताएं पाई गईं। निरीक्षण के बाद राज्य में 208 राशन दुकानों के आवंटन रद्द कर दिए गए और 285 राशन दुकानों को निलंबित कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में 22 प्राथमिकियां भी दर्ज की गईं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धान और जूट बोरे पर किसानों को गुमराह करने के लिए बघेल को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की किसानों के पक्ष में किए गए कार्यों को लेकर उन्होंने कहा, पिछले नौ वर्षों में धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 800 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। केंद्रीय मंत्री गोयल के आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आगामी चुनाव को देखते हुए बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, पिछले समय भी केंद्र सरकार के अधिकारियों ने निरीक्षण किया था और अब चुनाव के दौरान केवल निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। बघेल ने कहा, हमने आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड तक सब कुछ लिंक कर दिया है। सभी को राशन मिल रहा है। जिन दुकानों में कमियां पाई गईं, उन मामलों में राज्य सरकार पहले ही कार्रवाई कर चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा, अब वे सिर्फ चुनाव को देखते हुए आरोप लगा रहे हैं।